स्वतन्त्रता में ही सुख है पर के सम्बन्ध से जीव कभी भी सुखी नहीं हो सकता, क्योंकि जहां पर पराधीनता है, वही दुःख है। स्वतन्त्रता ही सुख की जननी है, सुख का साधन एकाकी होना है।
मेरी जीवन गाथा: भाग २, पृ० ४१ - Autobiography of Pujya Ganesh Varni Ji
मेरी जीवन गाथा: भाग २, पृ० ४१ - Autobiography of Pujya Ganesh Varni Ji
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