शनिवार, 31 दिसंबर 2011

आज का विचार

स्वतन्त्रता में ही सुख है  पर के सम्बन्ध से जीव कभी भी सुखी नहीं हो सकता, क्योंकि जहां पर पराधीनता है, वही दुःख है। स्वतन्त्रता ही सुख की जननी है, सुख का साधन एकाकी होना है।
मेरी जीवन गाथा: भाग २, पृ० ४१ - Autobiography of Pujya Ganesh Varni Ji

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