Image by S.Das via Flickrआज बस इसे ही एक दोस्त की याद आगई। हमारे मित्र का नाम है धर्मेन्द्र जैन और ये आई आई टी मुंबई से पीएचडी कर रहे है ड्रग डेलिवरी सिस्टम मे। अब बताते है की इनकी याद क्यों आई। आज लाबोरातोरी मे काम करते करते लगा की बॉस होने के मजे ही अलग है। काम नही करना पड़ता , जब चाहो आओ , जब मन कर जाओ इत्यादि इत्यादि। तभी इन महाशय द्वारा सुनाई कहानी की कुछ पंक्तिया याद आगई ..........एक शेर था और एक हिरन। सुबह हुई तो शेर ने सोचा की आज पेट भरना है तो सबसे धीमे दौङना वाले हिरन से तो तेज दौङना पड़ेगा। उधर हिरन सोच रहा था की अगर आज जीना है तो शेर से तो तेज दौङना पड़ेगा। तो दोस्तों सुबह होगई है , और शेर हो या हिरन दौङना शुरु करदो.........
तो जनाब इस कहानी की शिक्षा यह है की जहाँ हो जैसे हो अपने प्रयास करते रहो। इस बात का ज्यादा फर्क नही पड़ता की कहाँ खड़े हो, फर्क पड़ता है की आपने कब दौड़ना शुरु किया।
नोट: इस कहानी का सोर्स पता नही है। हमें तो धर्मेन्द्र जी ने सुनाई थी।

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